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कविता

पहले एक चाँद जरूरी है

लीलाधर जगूड़ी


एक आकाश पहाड़ की चोटी पर
एक गड्ढे में
आकाश दोनों हैं
फर्क चाँद सितारों का है

पहली बार यहाँ तलैया थी
दो चाँद दिखे थे
प्‍लेट और परात में भी
दिख सकता है चाँद
अगर पानी हो
पानी हो और चाँद न हो तो?

चाँद दो भी हो सकते हैं और दस भी
पर अनुभव के आकाश में
पहले एक चाँद जरूरी है
तभी दिखेगा कोई चाँद
अनुभव के पाताल में भी

कहीं एक चाँद जरूरी है
चार चाँद लगाने के लिए

क्‍योंकि जो छोटा हो और बड़ा हो जाय
बड़ा हो जाने पर भी छोटा हो जाय
जो होते हुए भी गायब रह सके
और गायब रहकर भी चमक जाय
अनुभव के पाताल के लिए भी
अनुभव के आकाश में
पहले एक चाँद जरूरी है।

 


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